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लेखनी कहानी -17-Feb-2023 एक और मुर्गी

सुना है कि एक और मुर्गी कटने को तैयार हो गई है । वैसे इसमें नया कुछ भी नहीं है । मुर्गियों की नियति है कटना । आज नहीं तो कल । एक न एक दिन तो उसे कटना ही है । कुछ मुर्गियां इस सत्य से बड़ी जल्दी वाकिफ हो जाती हैं और वे स्वयं ही कसाई के पास कटने के लिए चली जाती हैं । साहित्यिक भाषा में इसे "लव जिहाद" कहते हैं । मुर्गियों को इश्क का ऐसा रोग लगा है कि वे "कसाई" से ही इश्क कर बैठती हैं । 

ऐसा नहीं है कि उन्हें कसाई , उसकी आदतें और उनका इतिहास पता नहीं है । पर ये मानकर चलती हैं कि "मेरा वाला कसाई ऐसा नहीं है" और वे अपने "प्यारे" कसाई को अपना तन और मन दोनों सौंप देती हैं । कसाइयों की पौ बारह है । उन्हें मुर्गी भी मिलती है और अंडा भी । आम के आम और  गुठलियों के दाम । वे ताक में ही रहते हैं कि कब कोई मुर्गी फंसे और वे कब उसका "कीमा" बनायें । अब ये कसाई की श्रद्धा है कि वह उसके टुकड़े टुकड़े करके फ्रिज की शोभा बढायें या खुद इस्तेमाल करके अपने यार दोस्तों के हवाले कर दे या कीमा बनाकर आनंद ले । जब मुर्गी खुद कीमा बनने को तैयार है तो कोई क्या कर सकता है ? 

वैसे तो बॉलीवुड का "कसाई" प्रेम जग जाहिर है और बॉलीवुड की अनेक मुर्गी "कसाइयों" से दिल लगा बैठी । कुछ कसाई तो इतने भले थे कि उन्होंने मन भरने पर मुर्गी को काटा नहीं, बस तलाक बोल दिया । मुर्गी तो उफ भी नहीं कर सकती थी क्योंकि कसाई को उसने ही चुना था । सुना है कि एक बॉलीवुड के कसाई ने अपनी ही एक मुर्गी को काट डाला था । अभी थोड़े दिन पहले कोई श्रद्धा नाम की मुर्गी किसी आफताब नामक कसाई के हाथों कटकर जन्नत की सैर को निकल गई थी । पता नहीं उसे जन्नत मिली या नहीं पर सूटकेस जरूर मिल गया । 

तो इस महान "पाक कृत्य" से प्रेरित होकर एक बॉलीवुड की मुर्गी किसी कसाई को "जान" बना बैठी और कटने को तैयार हो गई है । कहते हैं कि इस मुर्गी ने अपनी एक फिल्म में बताया था कि "मिडिल फिंगर" का सही उपयोग क्या है और उसे "स्वर्गिक आनंद" के लिए कैसे काम लेना चाहिए ? उसके बाद यह अभिनेत्री मुर्गी रातों-रात प्रसिद्ध हो गई  । वैसे तो उसकी प्रसिद्धि के और भी कारण हैं मसलन वह लिबरल है, सेकुलर है और वह इसका प्रदर्शन सरेआमकरती है । टुकड़े टुकड़े गैंग के सरगना कन्हैया कुमार के चुनाव में प्रचार करने के लिए वह बिहार भी गई थी । इसे हिन्दू धर्म, संस्कृति, साहित्य, लोग सबसे घोर नफरत है । इसका वश चले तो यह सबको "शांति दूत" बना दे पर यह इसके बस में नहीं है । अगर ऐसा होता तो यह सब लड़कियों यानि कि मुर्गियों को कसाइयों को खुद सुपुर्द कर देती । पर बेचारी ऐसा कर ना सकी । हां , अब यह दो चार शांतिदूतों को जन्म जरूर दे सकती है । 

तो देखते हैं कि यह मुर्गी कसाई के घर कितने अंडे देती है और फिर कब कटती है । इसका कीमा बनना तो तय है, इसमें कोई संदेह नहीं है । 
श्री हरि 
17.2.23 


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6 Comments

बहुत खूब,,,, तात्कालिक मुद्दो पर बेहतरीन लेख,,, कास कि हम सावधान रहें और ऐसे कार्य न करें

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Gunjan Kamal

18-Feb-2023 11:11 PM

बेहतरीन

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Renu

18-Feb-2023 06:47 PM

👍👍🌺

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